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A Humble Prayer.....!!! - Geeta Dhara - My Path
मेरा मत है कि हम लोंगो को अत्यधिक विस्तार की अपेक्षा अब अपने आध्यात्मिक विचारों को अत्यंत सावधानी से संयत रखने की अधिक आवश्यकता है। मुझे लगता है कि आध्यात्मिक ग्रंथों के यौगिक शब्दों को केवल यौगिक दृष्टिकोण, यौगिक प्रक्रिया … Continue reading →
Mrityunjayanand