Concept of Navratri......!!! - Geeta Dhara - My Path
***** मोह निशा में अचेत आदिम मानव अज्ञान की रात्रि में सो रहा है जिसने कभी योग के विषय में सोचा ही नही। सम्पूर्ण भूतप्राणियों के लिये वह परमात्मा रात्रि के तुल्य है; क्योकि दिखाई नही देता, न विचार ही … Continue reading →
Mrityunjayanand