Category Archives: Spiritual

जे राखे रघुबीर, ते उबरे तेहिं काल महु (Those Protected by Raghubir (Lord Ram) are Saved, even in the Direst of Times)

रामनवमी के पुण्य अवसर पर पूज्य गुरुदेव द्वारा अमूल्य आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन। जे राखे रघुबीर, ते उबरे तेहिं काल महु! ****************************************   इहां देव ऋषि गरुड़ पठायो । राम समीप सपदि सो आयो ।। दो :- खगपति सब धरि खाए, माया … Continue reading

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रामचरित मानस के ‘दर्शन, अध्यात्म, और विज्ञानं’ का संक्षिप्त आध्यात्मिक स्वरूप! (A Concise Spiritual Essence of the “Philosophy, Spirituality, and Science” of the Ramcharitmanas)

रामचरित मानस के ‘दर्शन, अध्यात्म, और विज्ञानं’ का संक्षिप्त आध्यात्मिक स्वरूप। ************************** A concise spiritual essence of the “philosophy, spirituality, and science” of the Ramcharitmanas.   मानस में रामकथा का प्रारम्भ और समापन स्थल ‘अयोध्या’ है। मानस का अर्थ है … Continue reading

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राम नाम मणिदीप है! (The Name of Ram is a Gem-like Lamp)

रामनवमी आगमन-एक विशिष्ट आध्यात्मिक पुष्पांजली! The Arrival of Ram Navami – A Special Spiritual Floral Offering! राम नाम मणिदीप है! The Name of Ram is a Gem-like Lamp **************************   कुसल कुसल कहत जग बिनसे ,कुसल काल की फाँसी । … Continue reading

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“हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता” (With us is Lord Raghunath, so why worry about anything?)

“हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता”  With us is Lord Raghunath, so why worry about anything?   “शरण में रख दिया जब माथ, तो किस बात की चिंता”  When you have taken refuge in Him, why worry … Continue reading

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श्रीराम द्वारा दी गई शिक्षाएं! (Teachings Given by Shri Ram)

||ॐ|| *श्रीरामचरितमानस*   राम अनंत अनंत गुनानी । जन्म कर्म अनंत नामानी ।। जल सीकर महि रज गनि जाहीं । रघुपति चरित न बरनि सिराही । ( उत्तरकांड 51/2)   पार्वती जी को श्रीराम कथा सुनाने के बाद शिव जी … Continue reading

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श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । (O Mind, Worship the Merciful Shri Ramachandra, Who Removes the Terrible Fear of Worldly Existence)

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव … Continue reading

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