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राम राम राम जीह जौलौं तू न जपिहै……!!!!!

राम राम राम जीह जौलौं तू न जपिहै । तौलौं, तू कहूँ जाय, तिहूँ ताप तपिहैं ॥१॥ सुरसरि – तीर बिनु नीर दुख पाइहै । सुरतरु तरे तोहि दारिद सताइहै ॥२॥ जागत, बागत, सपने न सुख सोइहै । जनम जनम, … Continue reading

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जे राखे रघुबीर, ते उबरे तेहिं काल महु……!!!!!

रामनवमी के पुण्य अवसर पर पूज्य गुरुदेव द्वारा अमूल्य आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन। जे राखे रघुबीर, ते उबरे तेहिं काल महु……!!!!! **************************************** इहां देव ऋषि गरुड़ पठायो । राम समीप सपदि सो आयो ।। दो :- खगपति सब धरि खाए, माया नाग … Continue reading

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रामचरित मानस के ‘दर्शन, अध्यात्म, और विज्ञानं’ का संक्षिप्त आध्यात्मिक स्वरूप…….!!!!!

रामचरित मानस के ‘दर्शन, अध्यात्म, और विज्ञानं’ का संक्षिप्त आध्यात्मिक स्वरूप। ************************** रामनवमी के उत्सव पर एक विशेष सत्संग ……! मानस में रामकथा का प्रारम्भ और समापन स्थल ‘अयोध्या’ है। मानस का अर्थ है ‘मन के अंतराल में’ और अयोध्या … Continue reading

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बुद्धिहीन रावण! राम क्या मनुष्य हैं………..?????

बुद्धिहीन रावण! राम क्या मनुष्य हैं? रामनवमी के पुनीत अवसर पर महापुरुषों का विशिष्ट चिंतन..!! ******************************************** जद्यपि ब्रह्म अखण्ड अनन्ता। अनुभव गम्य भजहिं जेहि सन्ता।। (मानस, 3/12/12) योगी अनुभव में रमण करते हैं। अनुभव भव से अतीत एक जागृति है, … Continue reading

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प्रभु श्री राम का आध्यात्मिक स्वरूप…….!!!!!

प्रभु श्री राम का आध्यात्मिक स्वरूप।। ****************************** अंतःकरण में प्रस्फुटित अनुभवगम्य अनुभूति का एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण।। ********************************* सती पार्वती की भी यही जिज्ञासा थी। उनका एक जन्म तो संशय में चला गया कि नर-तन धारण करनेवाले राम भगवान कैसे हो … Continue reading

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जननी मैं न जीऊँ बिन राम……!!!!!

जननी मैं न जीऊँ बिन राम। जननी मैं न जीऊँ बिन राम, राम लखन सिया वन को सिधाये गमन, पिता राउ गये सुर धाम, जननी मैं न जीऊँ बिन राम। कुटिल कुबुद्धि कैकेय नंदिनि, बसिये न वाके ग्राम, जननी मैं … Continue reading

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